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Friday 20 July 2012

women and society


 क्यों होता है आज भी नारी का अपमान ?

स्त्री पुरुष दोनों का है महत्व समान,
क्यों होता है आज भी नारी का अपमान ?


जन्म के समय बेटे की चाह करे,
बेटी के जन्म लेने पर आह भरे,
कभी गर्भ में उसके जीवन को हरे,
भेदभाव बेटी के साथ करने से ना डरे,
बेटी के महत्व को भूल जाता है इन्सान,
क्यों होता है आज भी नारी का अपमान ?


युवावस्था में वो बदसलूकी और छेड़छाड़ सहे,
शर्म और इज्जत के कारण कुछ न कहे,
कार्यक्षेत्र में भी असुरक्षा की भावना बहे,
गाँव या शहर, कहीं भी सुरक्षित ना रहे,
कानून व्यवस्था ना बचा सके उसका स्वाभिमान,
क्यों होता है आज भी नारी का अपमान ?


 
शादी के बाद दहेज की बलि चढ़ायें,
घरेलू हिंसा की भी उसे शिकार बनायें,
बन्धन की बेड़ियाँ पैरों में पहनाएं,
मानसिक उत्पीड़न कर उसे सताएं,
इन्सानियत छोड़ कुछ लोग बनते हैं हैवान,
क्यों होता है आज भी नारी का अपमान ?


नवजात बच्चियाँ छोड़ी जाती हैं समझकर भार,
चंद रुपयों में बेचीं जाती हैं करके तिरस्कार,
छोटी उम्र में ही दुष्कर्म का होती हैं शिकार,
जीवन में सहती रहती हैं अनेकों अत्याचार,
समाज में नारी को मिला न उचित सम्मान,
क्यों होता है आज भी नारी का अपमान ?

Tuesday 3 July 2012

Monsoon, Come soon

          मानसून अब आ भी जाओ

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इतना मत इन्तजार कराओ,

मानसून अब आ भी जाओ ।

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पानी की फुहारें ले आओ,

प्यासी धरती की प्यास बुझाओ,

किसानों की उम्मीद जगाओ,

बारिश का मौसम बनाओ,

ठंडी – ठंडी हवा चलाओ,

मानसून अब आ भी जाओ ।

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पूर्वोत्तर में तुम बरस गए हो,

पर वहाँ पर क्यों अटक गए हो,

क्या तुम रास्ता भटक गए हो ?

जो पहाड़ों में लटक गए हो,

गर्मी से हमें राहत दिलाओ,

मानसून अब आ भी जाओ ।

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सूख रही हैं नदियाँ सारीं,

पानी की है मारा मारी,

गर्मी पड़ रही है सब पर भारी,

चिड़ियों की बंद है किलकारी,

थोड़ी सी तो दया दिखाओ,

मानसून अब आ भी जाओ ।

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पेड़ों की हरियाली सूख गई,

घास भी हँसना भूल गई,

प्रकृति भी हमसे रूठ गई,

इन्तजार की घड़ियाँ छूट गईं,

सबको मत इतना तरसाओ,

मानसून अब आ भी जाओ ।