Disable Copying
!->
Showing posts with label Poem-Nature. Show all posts
Showing posts with label Poem-Nature. Show all posts
Sunday 26 August 2012
Nature's Anger and Revenge
प्रकृति ने अपना क्रोध है दिखाया,
जल का सम्मान है आज जरूरी,
जल का यदि होगा अपमान,
महाराष्ट्र में सूखा तो राजस्थान में बाढ़ बनकर आया,
हमारी संस्कृति ने जल को सम्मानीय माना,
स्वार्थ का हर समय गाते रहे गाना ,
Saturday 16 April 2011
पतझड़ का मौसम
उस पर रहते थे बहुत से पक्षी |
पेड़ ने पतझड़ में अपने पत्ते गिराए,
यह देखकर सभी पक्षी अकुलाए ||
पक्षियों ने कुछ दिन बसेरा किया दूसरे पेड़ पर,
अ़ब नए पत्ते उग गए हैं पुराने पेड़ पर |
पक्षी होकर खुश आ गए पुराने ठिकाने पर,
और होड़ मची है नया घोंसला बनाने पर ||
पेड़ लग रहा है बहुत सुन्दर,
कोयल गा रही है गीत जी भरकर |
इस मौसम में पेड़ पौधे लग रहे हैं ताजा,
और पक्षियों का बज रहा है बैंड-बाजा ||
Subscribe to:
Posts (Atom)