Disable Copying

Showing posts with label Poem-Nature. Show all posts
Showing posts with label Poem-Nature. Show all posts

Sunday 26 August 2012

Nature's Anger and Revenge

प्रकृति ने अपना क्रोध है दिखाया

प्रकृति ने अपना क्रोध है दिखाया,
रेगिस्तान में भी जल का सैलाब आया |


जल का सम्मान है आज जरूरी,
जल को व्यर्थ बहाने की न हो मजबूरी,
जल और मनुष्य में न हो कोई दूरी,
जल के बिना जीवन की कल्पना अधूरी,
जल ने भयंकर रूप ले बाढ़ बनकर दिखाया,
रेगिस्तान में भी जल का सैलाब आया |


जल का यदि होगा अपमान,
मुश्किल होगी बचानी हमको जान,
जल की कमी से न उगेगा धान,
अति वृष्टि से भी दुखी होगा इंसान,
कहीं सूखे, कहीं बाढ़ ने किसान को रुलाया,
रेगिस्तान में भी जल का सैलाब आया |


महाराष्ट्र में सूखा तो राजस्थान में बाढ़ बनकर आया,
देश ही नहीं, पूरे विश्व में जल ने हाहाकार मचाया,
यूरोप से मुँह मोड़ा और सूखे से उसे सताया,
अमेरिका, चीन आदि देशों में तूफ़ान बन कहर ढाया,
बाढ़, तूफ़ान, सुनामी के रूपों में अपना क्रोध दिखाया,
रेगिस्तान में जल भी का सैलाब आया |


हमारी संस्कृति ने जल को सम्मानीय माना,
पर हमने जल की शक्ति को नहीं जाना,
प्रदूषण फैला, बाँधों में रोक, किया मनमाना

स्वार्थ का हर समय गाते रहे गाना ,
विकराल रूप से जल ने मानव को चेताया,
रेगिस्तान में भी जल का सैलाब आया


Nature protects if she is protected.

Love Nature,     respect nature.




Saturday 16 April 2011

पतझड़ का मौसम

   पतझड़ का मौसम
                       एक था पेड़,
उस पर रहते थे बहुत से पक्षी |
पेड़ ने पतझड़ में अपने पत्ते गिराए,
यह देखकर सभी पक्षी अकुलाए ||
पक्षियों ने कुछ दिन बसेरा किया दूसरे पेड़ पर,
अ़ब नए पत्ते उग गए हैं पुराने पेड़ पर |
पक्षी होकर खुश आ गए पुराने ठिकाने पर,
और होड़ मची है नया घोंसला बनाने पर ||
पेड़ लग रहा है बहुत सुन्दर,
कोयल गा रही है गीत जी भरकर |
इस मौसम में पेड़ पौधे लग रहे हैं ताजा,
और पक्षियों का बज रहा है बैंड-बाजा ||