दुख के काँटे (कविता)
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Saturday, 26 May 2012
Joy and Sorrow
दुख में सुख की बहुत याद आती है,
धैर्य और साहस की परीक्षा हो जाती है ।
आग में तपकर ही सोने में चमक आती है,
दुख को सहकर ही किस्मत को चुनौती दी जाती है ।
दुख सुख का महत्व समझा जाता है,
दूसरों के दर्द का भी अहसास करा जाता है ।
दुख शत्रु और मित्र की पहचान करा देता है,
अपने और पराये की परख बता देता है ।
सुख छिनने का हमेशा डर लगा रहता है,
दुख में व्यक्ति इस बात से निर्भय बना रहता है ।
सुख जाता है तो दुख दे जाता है,
दुख जाता है तो सुख दे जाता है ।
पतझड़ के बाद बसन्त की बहार भी आती है,
तपती गर्मी के बाद मानसून की बौछार भी आती है ।
अँधेरी रात के बाद उजाले की भोर भी आती है,
दुख और कष्टों के बाद सुख की झंकार भी आती है ।
उजाले के बिना जीवन में अँधेरा हो जाता है,
पर अँधेरा ही उजाले का महत्व समझाता है ।
सुख दुख जीवन के साथ चलते हैं,
फूलों के साथ कांटे भी मिलते हैं ।
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