Nature's Anger and Revenge
प्रकृति ने अपना क्रोध है दिखाया
प्रकृति ने अपना क्रोध है दिखाया,
रेगिस्तान में भी जल का सैलाब आया |
जल का सम्मान है आज जरूरी,
जल को व्यर्थ बहाने की न हो मजबूरी,
जल और मनुष्य में न हो कोई दूरी,
जल के बिना जीवन की कल्पना अधूरी,
जल ने भयंकर रूप ले बाढ़ बनकर दिखाया,
रेगिस्तान में भी जल का सैलाब आया |
जल का यदि होगा अपमान,
मुश्किल होगी बचानी हमको जान,
जल की कमी से न उगेगा धान,
अति वृष्टि से भी दुखी होगा इंसान,
कहीं सूखे, कहीं बाढ़ ने किसान को रुलाया,
रेगिस्तान में भी जल का सैलाब आया |
महाराष्ट्र में सूखा तो राजस्थान में बाढ़ बनकर आया,
देश ही नहीं, पूरे विश्व में जल ने हाहाकार मचाया,
यूरोप से मुँह मोड़ा और सूखे से उसे सताया,
अमेरिका, चीन आदि देशों में तूफ़ान बन कहर ढाया,
बाढ़, तूफ़ान, सुनामी के रूपों में अपना क्रोध दिखाया,
रेगिस्तान में जल भी का सैलाब आया |
हमारी संस्कृति ने जल को सम्मानीय माना,
पर हमने जल की शक्ति को नहीं जाना,
प्रदूषण फैला, बाँधों में रोक, किया मनमाना
स्वार्थ का हर समय गाते रहे गाना ,
विकराल रूप से जल ने मानव को चेताया,
रेगिस्तान में भी जल का सैलाब आया
Nature protects if she is protected.
Love Nature, respect nature.
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