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Sunday, 22 December 2013

Mosquito said to man




मच्छर बोला आदमी से

 

बरसात के मौसम में,

मच्छर ने अपना मुँह खोला,

और आदमी से इस तरह बोला---

मै तेरा खून पी जाऊँगा,

तेरे कान में बेसुरा संगीत बजाऊँगा,

डेंगू, मलेरिया से तुझे डराऊँगा,

चैन की नींद से तुझे जगाऊँगा,

तेरे घर में भी अपना कुनबा बढ़ाऊँगा,

मौका मिलते ही तुझे काट खाऊँगा, 

आदमी ने मच्छर के बोल को सहा,

और फिर मच्छर से कहा —–

मेरा खून तो पहले ही समस्याओं ने पिया,

प्रदूषण ने मेरा बैंड बजा दिया,

कोरोना  के भय ने जीना मुश्किल किया,

चिन्ता और तनाव ने नींद को लूट लिया | 

अब तू भी आ जा मुझे और दुखी करने को,

प्रदूषण, समस्याओं और कोरोना का साथी बनने को,

अपने डंक के जहर से मुझे सताने को, 

बीमारियों का उपहार देकर मुझे रुलाने को, 

मेरा खून पीकर बेशक तू अपना पेट भर,

पर बीमारियों को न मुझे ट्रांसफर कर,

धोखे और स्वार्थ की ऐसी नीति से डर,

वरना रुक सकता है तेरा भी सफर,

न मुझे बीमारियों से डरा, न खुद भाग इधर-उधर,

मुझे भी चैन से जीने दे, खुद भी देख ले जीकर |

 

 

Sunday, 16 June 2013

Father'day (16-06-2013)

                           पिता का वर्णन कैसे करूँ



            समुद्र में पानी का जहाज है पिता,

            रेगिस्तान में झील और तालाब है पिता |

          अपने बच्चों का पालनहारा है पिता,

          परिवार रुपी नाव का खेवनहारा है पिता |

               .

             भयंकर गर्मी में वृक्ष की ठंडी छाया है पिता,

             कड़कती ठंड में सुनहरी धूप की माया है पिता |

             तेज बरसात में छतरी जैसा सहारा है पिता,

              बसन्त ऋतु में खिलते फूलों जैसा नज़ारा है पिता |

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                 संस्कारों की पाठशाला है पिता,

                आदतों, गुणों की कार्यशाला है पिता |

                सुरक्षा देने वाला किला है पिता,

                 मुश्किल में काम आने वाला हौसला है पिता |

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                जिन्दगी की कठिन राह में साथ चलता साया है पिता,

                जीवन के हर क्षण में समाया है पिता |

                पिता का वर्णन करने बैठो तो शब्द कम पड़ जाते हैं,

                पिता की महानता के आगे मस्तक स्वयं झुक जाते हैं |

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          –Dedicated to my respected father on Father’s Day.