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Monday, 14 February 2022

जीवन के दो हैं किनारे

जीवन के दो हैं किनारे 


जन्म और मृत्यु, जीवन के दो हैं किनारे

जीवन की नैया चलती है साँसों के सहारे

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जीवन का हर पल है कीमती

मृत्यु जीवन के चारों ओर घूमती,

जीवन की यात्रा धीरे धीरे आगे बढ़ती

सुख दुःख संघर्षों को अपने में समेटती

पुण्य पाप सुख दुःख सभी हैं हमारे

जीवन की नैया चलती है साँसों के सहारे   

 

बहुत मुश्किल से मिलता है मनुष्य जन्म

अनेक जन्मों में घुमाते हैं अपने ही कर्म  

मनुष्य जन्म अनमोल, नहीं इसमें कोई भरम

मानवीय गुणों को पाना ही अपना है धर्म  

धैर्य, संयम, सत्य, साहस जीवन के सितारे

जीवन की नैया चलती है साँसों के सहारे

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समय आगे बढ़ता रहता है निरन्तर

बचपन, जवानी, बुढ़ापा आते हैं कालान्तर  

खेल, पढाई, रोज़गार में समय बीते अधिकतर

जन्म से मृत्यु तक आते हैं बहुत अन्तर  

परोपकार और भलाई से जीवन को संवारे

जीवन की नैया चलती है सांसों के सहारे   


भाग्य और पुरुषार्थ है जीवन की धुरी

जीवन का कोई लक्ष्य बनाना है जरूरी

पुण्य कार्यों से दूर रहने की हो मजबूरी

अच्छा इन्सान बने बिना जीवन की यात्रा है अधूरी

अपने मनुष्य जन्म को व्यर्थ गंवां रे

जीवन की नैया चलती है साँसों के सहारे