मूक पशुओं की सुनो पुकार
--- पुनीता जैन
बेकसूर पशुओं के दर्द का अहसास कीजिये,
--- पुनीता जैन
बेकसूर पशुओं के दर्द का अहसास कीजिये,
उनकी रक्षा के लिए कुछ तो प्रयास कीजिये |
अपने को काँटा भी चुभ जाये तो होता है बड़ा दर्द,
पर पशुओं के लिए क्यों हम हो जाते हैं बेदर्द |
पशुओं के क़त्ल सरेआम हो रहे हैं,
अब तो यांत्रिक बूचड़खाने भी तैयार हो रहे हैं |
आज पशुओं को काटा जा रहा है, मांस निर्यात के लिए,
इंसानियत को दफनाया जा रहा है, आर्थिक विकास के लिए |
पशुओं की आह जब वातावरण में भर जाएगी,
बदला लेने के लिए तब प्रकृति सामने आएगी |
भूकम्प, बाढ़, सूखा, तूफान, सुनामी को झेलना होगा,
पशुओं के दर्द और आह की कीमत का हिसाब तो, देना ही होगा |
देना ही होगा ||
(09-05-2011)
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