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Sunday 15 April 2012

Value of Life


                 जिन्दगी का मूल्य 

कानों में इयरफ़ोन लगाकर सड़कों और रेलवे लाइन पर,
चलते हुए अपनी जान क्यों गंवाते हैं लोग ?
शादी की खुशी में लापरवाही से फायर कर,
खुशी के माहौल को गम में क्यों बदल डालते हैं लोग ?
गाड़ियों को तेज रफ़्तार से दौड़ा कर,
अपनी और दूसरों की जान क्यों ले डालते हैं लोग ?
दिन रात ये खबरें आती हैं फिर भी,
क्यों नहीं सावधान और जागरूक हो पाते हैं लोग ?
अपनी और दूसरों की जिन्दगी छीन कर,
अनेक घरों और परिवारों में अँधेरा क्यों कर जाते हैं लोग ?
गुस्से में नियंत्रण खो कर,
क्यों दूसरों की हत्या कर देते हैं लोग ?
निराशा और तनाव में आत्महत्या कर,
क्यों अपना मनुष्य जीवन खो देते हैं लोग ?
शराब के नशे में गाड़ी चलाकर,
अनेकों जिंदगियों को क्यों लील जाते हैं लोग ?
ड्राइविंग सीट पर बैठ कर, क्यों सो जाते हैं लोग ?
भागदौड़, जल्दी - जल्दी, इस जल्दबाजी में,
क्यों जानें दाँव पर लगाते हैं लोग ?
समय तो किसी के लिए नहीं ठहरता, पर समय की जल्दी में,
जिन्दगी के समय को हमेशा के लिए क्यों ठहरा जाते हैं लोग ?
                                                       (22 – Feb – 2012)

Monday 9 May 2011

Live and let live

मूक पशुओं की सुनो पुकार
                            --- पुनीता जैन 
 बेकसूर पशुओं के दर्द का अहसास कीजिये,
 उनकी रक्षा के लिए कुछ तो प्रयास कीजिये |
 अपने को काँटा भी चुभ जाये तो होता है बड़ा दर्द,
 पर पशुओं के लिए क्यों हम हो जाते हैं बेदर्द |

  पशुओं के क़त्ल सरेआम हो रहे हैं,
 अब तो यांत्रिक बूचड़खाने भी तैयार हो रहे हैं |
 आज पशुओं को काटा जा रहा है, मांस निर्यात के लिए,
 इंसानियत को दफनाया जा रहा है, आर्थिक विकास के लिए |

  पशुओं की आह जब वातावरण में भर जाएगी,
   बदला लेने के लिए तब प्रकृति सामने आएगी |
 भूकम्प, बाढ़, सूखा, तूफान, सुनामी को झेलना होगा,
 पशुओं के दर्द और आह की कीमत का हिसाब तो, देना ही होगा |
   देना ही होगा ||
                                (09-05-2011)

Saturday 16 April 2011

पतझड़ का मौसम

   पतझड़ का मौसम
                       एक था पेड़,
उस पर रहते थे बहुत से पक्षी |
पेड़ ने पतझड़ में अपने पत्ते गिराए,
यह देखकर सभी पक्षी अकुलाए ||
पक्षियों ने कुछ दिन बसेरा किया दूसरे पेड़ पर,
अ़ब नए पत्ते उग गए हैं पुराने पेड़ पर |
पक्षी होकर खुश आ गए पुराने ठिकाने पर,
और होड़ मची है नया घोंसला बनाने पर ||
पेड़ लग रहा है बहुत सुन्दर,
कोयल गा रही है गीत जी भरकर |
इस मौसम में पेड़ पौधे लग रहे हैं ताजा,
और पक्षियों का बज रहा है बैंड-बाजा ||